शिवरात्रि और महाशिवरात्रि मेंअंतर क्या है चलिए जानते है

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कई लोग महाशिवरात्रि को शिवरात्रि भी बोलते हैं, लेकिन ऐसा है नहीं ये दोनों ही पर्व अलग-अलग महीने और दिन में पड़ते हैं। शिवरात्रि और महाशिवरात्रि दोनों में ही भगवान शिव की पूजा की जाती है लेकिन फिर भी दोनों मे अंतर  हैं  बहुत से लोग हे जो आज भी इस बात को नहीं जानते की शिवरात्रि और महाशिवरात्रि में क्या अंतर है। चलिए जानते हे शिवरात्रि और महाशिवरात्रि के बीच का अंतर

शिवरात्रि और महाशिवरात्रि मेंअंतर

इस साल महाशिवरात्रि का महापर्व 18 फरवरी शनिवार के दिन को है. मासिक शिवरात्रि और महाशिवरात्रि मेंअंतर होता है,

क्या हे शिवरात्रि और महाशिवरात्रि मेंअंतर

वैसे तो भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा अचॅना के लिए हर एक दिन खास होता है, लेकिन शिव भक्तों के लिए शिवरात्रि के पर्व का भी खास महत्त्व है। शिवरात्रि हर माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर आती है। इस मुजब साल मे 12 शिवरात्रि आती है 

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क्या है महाशिवरात्रि का पर्व

ये धार्मिक पर्व फाल्गुन मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि आती है। महाशिवरात्रि साल में 1 बार ही आती है। भगवान शिव शंकर के भक्त इस दिन को भकित और पूरे हर्षोल्लास के साथ इस दीन को मनाते हैं। इस दिन भक्त अपने आराध्य देव भगवान शिव का पंचामृत से स्नान कराने और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए मंदिर जरूर जाते हैं।

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क्यों मनाई जाती है महाशिवरात्रि?

फाल्गुन मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। इसलिए इस पर्व को शिव और पार्वती के विवाह के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। इसलिए इस दिन को शिव भक्त बेहद खास आनंद से मनाते हैं। माता पार्वती की कठोर तपस्या के बाद शिवजी ने उनको अपनी पत्नी रूप में स्वीकार किया था और इस शुभ दिन पर विवाह किया था। इसलिए रात में कई जगह भगवान की शिव बारात भी निकाली जाती है 

महाशिवरात्रि 2023 पूजा मुहूर्त

महाशिवरात्रि के दिन शिव भक्त सुबह से ही भगवान शिव की पूजा प्रारंभ कर देते हैं. महाशिवरात्रि के इस दिन रात्रि के 4 प्रहर की पूजा भी महत्वपूर्ण होती है. इस साल प्रथम प्रहर की पूजा प्रारंभ शाम 06:13 बजे से होगा.

प्रथम प्रहर पूजा मुहूर्त: शाम 06:13 बजे से रात 09:24 बजे तक 

द्वितीय प्रहर पूजा मुहूर्त: रात 09:24 बजे से देर रात 12:35 बजे तक 

महाशिवरात्रि के तृतीय प्रहर पूजा मुहूर्त: रात 12:35 बजे से अगली सुबह 03:46 बजे तक 

महाशिवरात्रि चतुर्थ प्रहर पूजा मुहूर्त: 19 फरवरी, सुबह 03:46 बजे से 06:56 बजे तक

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शिव पूजा मे बेल पत्र का महत्व 

पौराणिक ग्रंथों में एक कथा है. ओर इस कथा का समुद्र-मंथन से जुड़ाव है. दरसअल जब समुद्र मंथन हुआ तो अमृत से पहले विष निकला. मंथन से निकले उह विष में बहुत गर्मी थी, जो जीव जंतु और सृष्टि के लिए संकट बन गई. इसे बचाने के लिए भगवान शिव ने वह विष धारण कर लिया. विष धारण करने से भगवान शिव का मस्तक भी बहुत गर्म हो गया, और उनके शरीर में पानी की कमी हो गई. तब देवताओं ने बेल-पत्र महादेव के मस्तक पर चढ़ाए और जल अर्पित किया. बेल-पत्र की तासीर ठंडी होती है, जो पानी की कमी को भी पूरा करती है. बेल-पत्र से भगवान शिव को राहत मिली और वो प्रसन्न हुए. 


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